Sunday 7 February 2021

कौन हैं ये कायस्थ

कायस्थ को छोड़कर सभी के 13 गोत्र हैं. कायस्थ के 12 गोत्र हैँ. 
एक कायस्थ ही है जिन्हे सभी गोत्र से ही जानते है.. जैसे-श्रीवास्तव जी, माथुर जी, गौड़ जी, भटनागर जी, अम्बसठा जी आदि.
और तो और..कायस्थों को मनुष्य भी नहीं कहा जा सकता है.. यह चौकाने वाली बात है.. पर सत्य है..मनु के वंशज ही मनुष्य कहे जाते है.. और कायस्थ मनु वंश का है ही नहीं.. मनु को ब्रह्म जी उत्पन्न किये थे.. इस तरह 13 पुत्र उत्पन्न किये..जिनके नाम पर मनु वंशज (मनुष्य ) गौत्र का नाम पड़ा.
कायस्थ ब्रह्म जी के तप से प्रसन्न होकर स्वयंभु महाकाल ही चित्रगुप्त जी के रूप में प्रकट होकर आगे सृष्टि संतुलन का भार उठाया.. उसी महाकाल चित्रगुप्त का वंशज है..अतः कायस्थ देव वंशज है.. मतलब देव है.. सबके लिए पूज्य और आराध्य भी हैं.

प्रश्न - काश्यप गोत्र किन कायस्थों का होता है ? उत्तर - कायस्थ कभी भी काश्यप गौत्र के  हो ही नहीं सकते.. कश्यप अत्रि आदि 13 ऋषियों के नाम पर  चलने वाला गौत्र..कायस्थ के लिए नहीं.. कश्यप के दो पत्नियों दिति और अदिति के पुत्रों का वंशज काश्यप गौत्र में आते हैँ.. जिससे कायस्थ का कोई सम्बन्ध नहीं.. मूल रूप कायस्थों का चित्रगुप्त हैँ... भगवान चित्रगुप्त जी की दो पत्निया माँ इड़ावती/इड़ा/वामावती/शोभावती/मृत्यु देवी तथा माता जगनंदिनी/सुदक्षिणा/दक्षिणावती/पिंगला/पिंगलावती हैं । दोनों पत्नियों से बारह पुत्र – 1.श्रीवास्तव 2.सक्सेना 3.माथुर 4.कुलश्रेष्ठ 5.भटनागर 6.निगम 7.अम्बष्ट 8.सूरध्वज 9.कर्ण 10.गौड़ 11.अस्थाना व 12.बाल्मीक.. इन्हीं के नाम पर गौत्र पड़ा.. कायस्थ ही एक ऐसे सत्य रूप है जो अपने गोत्र से पहचाना जाता है.  
आपस में सम्बंधित या जुड़े हुए वंशजों के समूह को गोत्र कहा जाता है. गोत्र की अंग्रेजी Clan होती है.. 🔱 इनमें से बाल्मीकि जी ने ही "रामायण" लिखा है.
🔱 इनमें से जो अम्बष्ठ हैं उनका नाम हिमवान है. इन्हे ही पर्वतराज हिमवान या हिमालय कहा जाता है.. माता पार्वती का जन्म हिमवान और मैना माता के द्वारा ही हुआ.
आलेख साभार :
मुकुंद नंदन.
पता -
उज्वल भविष्य दर्शन
ज्योतिष तंत्र वास्तु
शोध संस्थान
आरा, भोजपुर, बिहार.