साभार : ज्योतिषी जी "पराविद्या"
तंत्र साधना जिसका नाम सुनते ही मन में जादू-टोने की बात आती है। जबकि यह ज्योतिष की एक अलग विधा है। इसकी शुरुआत भी कुछ अलग उद्देश्य से की गई थी। जी हां यूं तो कई लोग तंत्र विद्या को सीखते और सिखाते हैं। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि अपने देश में एक तांत्रिक यूनिवर्सिटी भी है। हालांकि एक बात इसे दूसरी यूनिवर्सिटीज से अलग बनाती है। वह यह है कि यह यूनिवर्सिटी एक मंदिर है।
भारतवर्ष में चार चौंसठ योगिनी मंदिर हैं। दो ओडिशा में और दो मध्य प्रदेश में हैं। मध्यप्रदेश के मुरैना में स्थित चौंसठ योगिनी मंदिर सबसे प्रमुख और प्राचीन है। बता दें कि यह मंदिर तंत्र-मंत्र के लिए काफी प्रसिद्ध था। इस मंदिर में देश ही नहीं विदेश से भी लोग तंत्र-मंत्र सीखने आते थे। इसलिए इस मंदिर को तांत्रिक यूनिवर्सिटी भी कहा जाता है।
क्षत्रिय राजाओं ने इस चौंसठ योगिनी मंदिर का निर्माण 1323 ईस्वी में करवाया था। मंदिर तक पहुंचने के लिए तकरीबन 100 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। इसका निर्माण वृत्तीय आधार पर हुआ है। पूरा मंदिर 101 खंभों के ऊपर हुआ है। मंदिर में 64 कमरे हैं और हर कमरे में एक-एक शिवलिंग के साथ देवी योगिनी की मूर्तियां हैं। वहीं मंदिर के मध्य में एक खुला हुआ मंडप है, जहां एक विशाल शिवलिंग है।
स्थानीय निवासियों का मानना है कि यह मंदिर आज भी शिव की तंत्र साधना के कवच से ढका हुआ है। यही वजह है कि यहां आज भी रात में किसी को रुकने की इजाजत नहीं है। ना तो इंसानों को और ना ही पक्षियों को। बता दें कि तंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध इस मंदिर में शिव की योगनियों को जागृत किया जाता था।
नोट : आपके आदेश पर दिव्य-अलौकिक-सिद्ध व प्राण प्रतिष्ठित तंत्र सामग्री ज्योतिष कार्यालय द्वारा उपलब्ध कराया जाता है.
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